एक समय की बात हे एक मुसाफिर नाम का लड़का था और उसके माता पिता का देहांत हो गया था अब बो इस दुनिया में सबसे अकेला था मुसाफिर बहुत दुखी था ।
और अब बो किसी के साथ नहीं रहना चहेता था और उसने अपना सारा सामान समेटा और जंगल के तरफ निकल गया मुसाफिर को जब भूख लगती तब मुसाफिर खाना। खा लेता और फिर चलने लगता और ऐसे ही चलते चलते मुसाफिर बहुत दूर निकल गया ।
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मुसाफिर खुद नही जानता था के बो कहा आ गया । और अब तो मुसाफिर बहुत थक गया था इस लिए उस ने एक अच्छे बेड के नीचे कुछ देर सोने की सोच ली और बो बही लेट गया ।
और उस को नीद आ गई और मुसाफिर उस जगाए पे कई दिन सोता रहा मुसाफिर को कुछ पता ही नहीं के बो कब से बहा पे सो रहा था
और एक दिन मुसाफिर को नीद खुली तो उसने देखा के उसके बाल बहुत बड़े हो गए और बो जहा लेता था बहा पे बहुत सारी मिट्टी आ गई और उसका सारा सामान मिट्टी में दब गया यह तक बो खुद मिट्टी में दब गया ।
Moral story in Hindi। मुसाफिर का खाना हिन्दी कहानी।
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लेकिन फिर भी मुसाफिर को कुछ समझ नही आया और उस ने सोचा के शायद हवा चली होगी इस लिए इतना मिट्टी आ गई । लेकिन मुसाफिर को एक बात समझ नही आ रही थीं के उसके बाल और नाखून इतने बड़े बड़े कैसे हो गए ।
लेकिन फिर भी सब बातो को अनदेखा करते हुए मुसाफिर आगे बड़ा और कई मील चलता गया और अब मुसाफिर को बहुत तेज प्यास लग रही थी परंतु पानी दूर दूर तक नही था।
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और फिर मुसाफिर को एक पेड़ दिखाई दिया जिस में से थोड़ा थोड़ा पानी निकल रहा था और मुसाफिर उस के तरफ भागा और उस पेड़ से लिपट गया और और पानी को पीने लगा ।
और काफी देर तक मुसाफिर ने इस पेड़ से पानी पिया और अब उस की प्यास बुझ गई थी और अब मुसाफिर ने सोच लिया के आज से इस जगाए पे ही बो रहेगा क्योंकि उसे us ped se pani bhi मिलता रहेगा क्योंकि उसे पता था।
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के ये पेड़ जब तक खड़ा रहेगा तब काट इस में पानी रहेगा और में पिता रहुगा मुसाफिर ने बहा पे एक एक लकड़ियां बिन बिन के एक कोटरी बना ली और उस में ही रहने लगा ।
लेकिन पानी अकेले से बो जीनत नही रहता और फिर मुसाफिर भगवान को याद करने लगा ही भगवान आप ने हमे पानी दिया अब दाना और दो की हम इस जंगल में अपनी आयु जी सके।
और फिर क्या मुसाफिर aas pas khane ke तलास में निकल गया और उसे रास्ते में एक मुनीम का पानी का कमंडल मिला और मुसाफिर ने इस को उठा लिया और अपने साथ लेके चलने लगा।
और काफी देर चलने पर मुसाफिर को कही कुछ नहीं मिला और मिस्फिर बोला अब मुझे खाना कोन देगा और इतना बोलते ही कमंडल से एक खाने का पत्ता निकला जिसमे बहुत सारा भोजन था ।
जिसे देख मुसाफिर खुद को रोक नहीं पाया और खाने पर टूट पड़ा और तभी कमंडल से आवाज आई के अगर तुम खाने का दुर्पयोग करोगे तो तुम दुबारा खाना नही मिलेगा ।
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हम एक जादुई कमंडल हे हम एक महा ज्ञानी महात्मा के कमंडल हे जिसे बरसो महात्मा ने अपने तप में साथ रक्षा था लेकिन आज बो भगवान के पास चले गाय और हमे यही चोद गए।
और उन ने हम से कहा था के तुम यही धरती पे रहे और पेयासो की प्यास बुझाना और बूखे को खाना खिलाना और इस लिए हम ने तुम को खाना खिलाया और मुसाफिर से कहा अगर तुम हमे अपने साथ रखोगे तो कभी कोई गलत काम नहीं करना ।
बरना हम यह से गायब हो जायेगे मुसाफिर ने कमंडल की सारी बाते मन ली और अपने साथ लेके चला आया और अब से मुसाफिर को खाने पानी की बेबस्ता हो गई और मुसाफिर जंगल में खुशी खुशी अपना जीवन जीने लगा ।